हमारे स्कूल पे निबंध
सबसे पहले हम ये जान लेते है की विद्यालय किसे कहते है, अगर हम विद्यालय का संधिबिछेद करते है तो इसका मतलब होता विद्या और आल्या
इसका मतलब विद्या का घर और मंदिर उसे ही हम विद्यालय कहते है, विद्यालयपे आपको अक्सर आपको आपके विद्यालय में निबंध लिखने को कहा जाता है, विद्यालय से हमारी बहुत सी यादे जुड़ी हुए होती है जब हम बड़े हो जाते है तब भी हम अपने बचपन के यादो को नहीं भूलते है, क्यों की हमे अपने विद्यालय से लगाव हो जाता है। विद्यालय एक एईसी गजह है जहा हम अपने आपको संभाल पाते है, हम अपने जीवन को कैसे जिए इसके बारे में हम यहाँ से सीखते है। यहाँ के लोग यानि की हमारे शिक्षक हमे अपने जीवन में आगे बढ़ने का हमे रास्ता दिखाते और इन्ही की वजह से हम अपने जीवन में एक सफल इंसान बन पते है,
हमारे स्कूल का नाम स्वामी विवेका नन्द मिशन स्कूल है, ये हमारे बचपन का विद्यालय है जिसमे की हम पढ़ने जाते है। हमारा विद्यालय कक्षा एक से लेकर बारहवीं तक है, हम कक्षा आठ का छात्र है हमारा विद्यालय बहुत ही अच्छा है यहाँ पढ़ाने वाले शिक्षक भी बहुट अच्छे है, हम रोज स्कूल जाते है और वहा जाके हम अपनी ज्ञान को बढ़ाते है, हम यहाँ कक्षा एक से पढ़ रहे हैं।
हमारा यहाँ पे डेली रुटीन है जब स्कूल में प्रवेश करते है उसके बाढ़ हमारा दिनचर्या सुरुवात होता है सबसे पहले हम अपने दोस्तों के साथ लाइन में खरे होके हम प्रार्थना करते है और संबिधान के सपत ग्रहण को बोलते है जो की हैं,
“हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वा-सम्पन, समजवादी, पंथ-निरपेच, लोकतन्त्रपक गणराज्य बनान के लिए तथा उसके समस्त नागरिको को:
सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,
विचार, अभिवक्ति, विश्वाश धर्म और उपासना की स्वतंत्र,
प्रतिष्ठा और अवशर की समता
प्रपात करने के लिए,
तथा उन सब में व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता
सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ने के लिए
दृढ़संकल्प होकर अपनी इस संबिधान सभा में आज तारिक २६ नवंबर
1949 इस को एतत्दुआरा इस संबिधान को अंगीकृत, अधिनिमियत और आत्समर्पित करते है। “
इसके बढ़ हम थोड़ा शारीरिक प्रशिक्षण करते है और अपने कक्षा के लिए प्रस्थान करते है
हमारे विद्यालय में कुल ६००० छात्र है, हमरे वर्ग में कुल ३०० छात्र है, हमारे विद्यालय में बहुत कुछ की सुबिधा है जिसका उपयोग हम अपने दैनिक जीवन में करते हैं, हमारे विद्यालय बहुत अच्छा हैं ये हमे बहुत कुछ शिखा था हमारे विद्यालय के प्रधानाध्यापक का नाम श्री हरिवंश झा है जो की बहुत अच्छे है वो हम से बहुत प्यार से पेश आते है।
विद्यालय से हमें जीवन के बहुत मूल्यवान चीज़ सीखने को मिलती है, विद्यालय हमें अपने जीवन में अनुशाषित रहना सिखाता है, हमारे विद्यालय में एक पुस्तकालय भी हैं जिनमे ढेरो साडी पुस्तक रखी हुई है जब भी खली समय होता है हम अपने पुस्तकालय में जाके पुस्तक पढ़ते है जिनसे हमें ढेरो साडी ज्ञान की बातें समझ में आती है, हमारे विद्यालय में बिभिन्य प्रकार के लैब है जैसे की केमिस्ट्री लैब, फिजिक्स लैब और बायोलॉजी लैब जिनमे हम जाके बिभिन्य प्रकार के प्रयोग करते है।
हमारे विद्यालय में हमारे कक्षा के बहुत सारे दोस्त है जिसके साथ मिलके हम बिभिनं प्रकार के खेल को खेलते है जैसे लूडो, कैरमबोर्ड, कबड्डी , क्रिकेट, फुटबॉल इत्यादि जैसे खेल को हम खेलते है, हमारे विद्यालय में नाटकीय और संगीत का भी कार्य करम होता है जिसको भी इक्षा होती है वो उसमे भाग लेके हम सब को मनोरंजित करता है,
हमारे विद्यालय में वर्ष के आखिर में एक वार्षिक कार्यकर्म होता है उस कार्यकर्म में हमरे माता, पिता और परिवार के सदस्य को बुलाया जाता है इनमे हम सब भाग लेते है यानि जो विद्यार्थी इक्छुक है वो इसमें भाग लेते है, इनमे और भी लोगो को आमंत्रित किया जाता है जैसे की बारे अधिकारी और वो लोग जो उचे स्थान पे अग्रणीय हैं, और फिर कार्यक्रम को सुरुवात किया जाता हैं इसमें जिन बिद्यार्थी का प्रतिभा अच्छा होता है उन्हें पुस्कृत किया जाता।
हमारा विद्यालय सबसे अच्छा है, आजके इस भौतिक जीवन में विद्यालय को लोगो ने व्यापार बना दिया है अगर आप गरीब घर से हैं तो आप अच्छे विद्यालय में नहीं पढ़ सकते है परन्तु हमारा विद्यालय ऐसा नहीं है यहाँ का शुल्क बहुत काम है यहा बहुत गरीब बच्चे बढ़ते है हम भी एक गरीब बिद्यार्थी है हमारे पिताजी एक गरीब मजदूर है जो रोजाना ३०० रूपया कमाते है, और हमें हमारे बिद्यालय में पढ़ाते है,
हमारे विद्यालय में जब हम अपने वार्षिक परीक्षा को देते है उसके बाढ़ जब परिणाम की घोषणा की जाती है तब हमारे माता और पिता को भी बुलाया जाता है और हमे उनके सामने बधाई दी जाती है क्युकी हम अपने वर्ग में अच्छे से उत्तीर्ण होते है|